नमस्ते दोस्तों,
आज मैं आपके साथ एक खास अनुभव साझा करना चाहता हूं, जिससे मुझे यह सिखने को मिला कि अगर हम अपनी डर और चिंता को पार करना चाहते हैं, तो हमें लोगों से ज्यादा बातें करनी होती हैं।
**पिता की मानसिक स्वास्थ्य और मेरा सहयोग**
मेरे पिता एक साल से मानसिक बीमारी के शिकार थे और उनका इलाज अब एक आगरा के मानसिक अस्पताल में चल रहा है। उनकी स्थिति में अब बहुत सुधार हुआ है, इसलिए आज मैं भी उनके साथ गया था।
**डॉक्टर के पास जाना और सामजिक चिंता का आरंभ**
हम अस्पताल में 10 बजे पहुंचे और कुछ 30 मिनटों के बाद हमें डॉक्टर के पास बुलाया गया। वह पिता से उनकी तबियत पूछे और उनकी दवाइयों में परिवर्तन कर दिया। इसके बाद उन्होंने मानसिक सलाहकार के पास जाने के लिए हमें रेफर किया।
**मानसिक सलाहकार के साथ बातचीत**
मानसिक सलाहकार ने पिता से बातचीत की और मुझसे भी कुछ मूल चीजें पूछी। उस समय मुझे महसूस हुआ कि उसके मूल सवालों के जवाब देने में मुझे बहुत अधिक चिंता का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन जब बातचीत खत्म हुई, तो मुझे आत्म-विश्वास का अहसास हुआ।
**आत्म-विश्वास और सामाजिक चिंता**
इस अनुभव से मुझे यह सिखने को मिला कि सामाजिक चिंता को दूर करने के लिए हमें लोगों से ज्यादा से ज्यादा बातें करनी होती हैं। हमें अपने डर के खिलाफ अपने दिमाग में एक युद्ध लड़ना होता है।
**सकारात्मक दिन का आगमन**
आज का दिन मेरे लिए बहुत अच्छा था। मैंने पॉजिटिव रूप से रहा और लोगों से थोड़ी बातें की। यह मेरा दूसरा दिन है अपनी सामाजिक चिंता को दूर करने का और पिता के साथ बाहर जाकर अच्छा लगा।
**समापन**
धन्यवाद, आपको अगर यह ब्लॉग पढ़ने में मजा आया हो और आप अभी भी इस सफर को पूरा करना चाहते हैं, तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें।
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